Rekha khichi

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आज़ाद पंछी लेखनी प्रतियोगिता -06-Aug-2022

ये मन भी बड़ा चंचल होता है

सब कुछ पाने की चाह रखता है
कभी चाहत रखता है अपनों की
तो कभी चाहत रखता है सपनों की
कभी मन करता है धरा पर घूमते रहने की
तो कभी मन करता है पंख लगाकर उड़ जाने की
अपनी बुलंदियों को छुने की
लेकिन ये सब सोचने से नहीं शुरूवात करने से होगा
मंजिल भी मिल जायेगी मन का अंधकार दूर होगा
चलो अपने नाम को आसमान तक ले जाते है
पंख लगाकर मेहनत के दूर उड़ जाते हैं
और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा ले आते हैं।
आजाद पंछी सा ये मन मेरा
हजारों ख्वाहिशें दिल में रखता है
अब किसी और के लिए नहीं
खुद के लिए धड़कता है।

#प्रतियोगिता 

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9 Comments

Punam verma

07-Aug-2022 09:44 PM

Very nice

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Abhinav ji

07-Aug-2022 09:31 AM

Very nice👍

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Outstanding

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